Kaali Kitaab - 1 in Hindi Short Stories by Shailesh verma books and stories PDF | काली किताब - भाग 1

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काली किताब - भाग 1

शैली: रहस्य, थ्रिलर, अलौकिक

अध्याय 1: पुरानी गलियों का रहस्य

लखनऊ की पुरानी चौक बाज़ार में कई गलियाँ ऐसी हैं जो मानो समय के साथ थम गई हों। एक ऐसी ही गली है — “क़ाफ़िला गली”, जहाँ न तो मोबाइल सिग्नल ठीक से आता है, न ही कोई नया मकान बन पाया है। लोग कहते हैं कि वहाँ कुछ तो है... कुछ ऐसा जो नज़र नहीं आता, पर महसूस होता है।

उसी गली के एक कोने पर एक दुकान है — “फ़िरदौस की किताबें”। ये दुकान केवल शुक्रवार को एक घंटे के लिए खुलती है — शाम 5 बजे से 6 बजे तक। किसी को नहीं पता दुकानदार कौन है, कहाँ से आता है, और क्यों हर बार उसकी किताबों में से किसी एक को किसी अनजान ग्राहक को "स्वयं" चुन लिया जाता है।

अध्याय 2: अयान अली का आगमन

अयान अली, एक होनहार शोधार्थी, लखनऊ यूनिवर्सिटी में प्राचीन लिपियों पर शोध कर रहा था। उसका उद्देश्य था ऐसी लिपियाँ पढ़ना और समझना जो अब दुनिया से लगभग मिट चुकी हैं। एक दिन, एक पुराने दस्तावेज़ में उसे “क़ाफ़िला गली” और वहाँ की रहस्यमयी किताबों की दुकान का ज़िक्र मिला।

जिज्ञासा उसे खींच लाई। शुक्रवार था, और संयोग से घड़ी 4:55 बजा रही थी। वह गली में घुसा और समय पर दुकान पर पहुँचा।

अंदर एक बूढ़ा बैठा था—उसके चेहरे पर झुर्रियाँ समय की कहानियाँ कह रही थीं। बूढ़ा बिना कुछ बोले उठा, और एक काली किताब अयान के सामने रख दी। किताब पर कोई शीर्षक नहीं था, सिर्फ़ एक आँख बनी थी जो चमक रही थी।

"ये किताब मुझे क्यों दे रहे हैं?" अयान ने पूछा।

बूढ़ा मुस्कराया, “ये किताबें ख़ुद चुनती हैं कि किसे जाना है उनके पास।”

अध्याय 3: किताब की शुरुआत

अयान किताब लेकर घर आया। उस रात उसने किताब को खोलने का निश्चय किया। पहला पन्ना पूरी तरह ख़ाली था। दूसरा पन्ना पलटते ही उस पर उसका नाम लिखा था — "अयान अली"। उसके जन्म की तारीख़, माता-पिता का नाम, स्कूल, कॉलेज, हर बात जैसे किसी ने उसकी पूरी जीवनी पहले ही लिख दी हो।

जैसे-जैसे वह पढ़ता गया, किताब में उसकी ज़िंदगी का हर महत्वपूर्ण क्षण वर्णित था — जो हो चुके थे... और जो अभी होने बाकी थे।

अध्याय 4: भविष्य की परछाइयाँ

किताब में लिखा था कि अगले सप्ताह वह अपने शोध के लिए दिल्ली जाएगा। और सचमुच, एक ईमेल उसे अगले दिन ही मिला — दिल्ली सेमिनार में आमंत्रण का।

फिर लिखा था कि वह एक पुरानी तांत्रिक लिपि पढ़ेगा — जो उसके जीवन की दिशा बदल देगी। और वैसा ही हुआ।

फिर एक अजीब अध्याय आया — "मृत्यु"।

मृत्यु: 13 जनवरी, रात 2:14 बजे, जब वह किताब पढ़ रहा होगा।

अयान ने घड़ी देखी — 2:13 AM।

अध्याय 5: भागने की कोशिश

अयान ने घबरा कर किताब बंद की और दूर फेंकी। पसीने से भीगा हुआ वह खड़ा हुआ, कमरे की बत्तियाँ जलाईं। लेकिन जैसे ही वह दरवाज़ा खोलने बढ़ा — दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया।

पीछे मुड़ कर देखा — किताब खुली पड़ी थी। वहाँ अब एक नया पन्ना था, जिस पर लिखा था:"तू नहीं बच सकता, क्योंकि तू चुना गया है।"

घड़ी ने 2:14 बजाए। अचानक कमरे की लाइट चली गई। अयान को एक तेज़ सर्द हवा ने छू लिया। आँखों के सामने अंधेरा छा गया।

अध्याय 6: नया पन्ना

अयान की आँख खुली — वो ज़मीन पर गिरा था, पर जीवित। लेकिन किताब वहीं खुली थी, और उसमें अब कुछ नया लिखा था:

"अयान को जीवन दिया गया, ताकि वह अगला रास्ता खोले।"

अब किताब उसके हाथ में थी, पर उस पर एक और नाम उभर आया था — रवि सिंह।

अध्याय 7: रहस्य का पीछा

अयान अब इस रहस्य को समझने निकल पड़ा। उसने किताब की हर पंक्ति, हर चिन्ह, हर भाषा का विश्लेषण शुरू किया। वह समझ गया कि यह किताब सिर्फ़ एक "रिकॉर्ड" नहीं है, यह एक निर्देशिका है — ऐसी आत्माओं के लिए जिन्हें किसी विशेष उद्देश्य के लिए चुना गया है।

उसने पाया कि इस किताब के पूर्व मालिकों की लिस्ट एक गुप्त लिपि में आखिरी पृष्ठ पर दी गई है। उनमें से कुछ इतिहास में गुम हो चुके थे, कुछ बिना निशान के गायब।

अध्याय 8: दिल्ली की खोज

दिल्ली में उसे एक पुराना विद्वान मिला — प्रोफेसर अब्दुल रहमान — जो 'अशुद्ध ग्रंथों' पर शोध करता था। उसने किताब देखते ही कहा, "तुम इसे फौरन नष्ट कर दो। यह एक 'मयावी ग्रंथ' है, जो इंसानों की आत्मा से खिलवाड़ करता है।"

पर अब बहुत देर हो चुकी थी।

अयान ने देखा, किताब अब बिना उसके छुए खुद पन्ने पलटने लगी। और उसमें अब उसके सिवा रवि सिंह की ज़िंदगी उभरने लगी थी।अध्याय 9: रवि सिंह की तलाश

रवि सिंह, वाराणसी का एक साधारण युवक था — या यूँ कहें, दिखता साधारण था। किताब के अनुसार, वो एक पूर्व जीवन में एक रक्षक था — रक्षक उस रहस्य का जो मानवता को विनाश से बचा सकता है।

अयान रवि को खोजने वाराणसी पहुँचा। कई प्रयासों के बाद, गंगा किनारे एक घाट पर उसे वह युवक मिला — ध्यानमग्न, शांत, पर आँखें जैसे सब जानती हों।

"मैं जानता हूँ तुम कौन हो," रवि बोला, "किताब तुम्हारे पास है, पर अगला अध्याय मेरे साथ लिखा जाएगा।"

अध्याय 10: अंतिम रहस्य

किताब अब दोनों के बीच थी। उन्होंने मिलकर उसमें छिपे संकेतों को समझा। यह किताब न केवल भूत और भविष्य बताती है, बल्कि यह “वास्तविकता” को बदल भी सकती है — बशर्ते सही आत्मा उसे छुए।

अंतिम पृष्ठ पर लिखा था:

"जब दो जागृत आत्माएँ मिलेंगी, तब ही 'काली किताब' अपने अंतिम रूप को दिखाएगी।"

और जैसे ही अयान और रवि ने किताब पर हाथ रखा, एक विस्फोट हुआ — ना आग का, ना धुएँ का — बल्कि एक मानसिक विस्फोट। वे दोनों किसी अन्य आयाम में थे — एक ऐसी जगह, जहाँ समय, मृत्यु और जीवन के अर्थ ही बदल जाते हैं।समाप्ति नहीं, शुरुआत

जब लोग अगले शुक्रवार "फ़िरदौस की किताबें" की दुकान पर पहुँचे, वहाँ अब न बूढ़ा था, न दुकान, न गली।

बस एक किताब ज़मीन पर पड़ी थी — काली किताब — और उसमें अगला नाम उभर आया था…

जल्द ही अगले भाग में.... 


शैलेश वर्मा